करुण क्रंदन हर घर रे तेरा इंसान कहाँ घर रे तेरा I करुण क्रंदन हर घर रे तेरा इंसान कहाँ घर रे तेरा I
इंसानियत इन्सान को, इंसान बना देती है। इंसानियत इन्सान को, इंसान बना देती है।
यह लिखावट नहीं, वह खुद पूछ रही थी "सच में क्या... हमारे बीच इंसान कहीं है ?" यह लिखावट नहीं, वह खुद पूछ रही थी "सच में क्या... हमारे बीच इंसान कहीं है ?"
जीवन दुःख से ही संवारा है साथी तेरा साथ ही सहारा है साथी I जीवन दुःख से ही संवारा है साथी तेरा साथ ही सहारा है साथी I
जब मेरा अपना आशियाना था, हर तरफ मेरा ही फसाना था।। जब मेरा अपना आशियाना था, हर तरफ मेरा ही फसाना था।।
और अनगिनत सुनहरी यादों को समेटे रखा है इस छोटे से ताले ने। और अनगिनत सुनहरी यादों को समेटे रखा है इस छोटे से ताले ने।